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खोबा रोटी | राजस्थानी खोबा रोटी | गेहूँ की खोबा रोटी | मारवाड़ी खोबा रोटी | कैविटी रोटी |

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Tarla Dalal

 16 November, 2015

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Table of Content

खोबा रोटी | राजस्थानी खोबा रोटी | गेहूँ की खोबा रोटी | मारवाड़ी खोबा रोटी | कैविटी रोटी |

 

खोबा रोटी, जिसे राजस्थानी खोबा रोटी, गेहूं की खोबा रोटी या मारवाड़ी खोबा रोटी के नाम से भी जाना जाता है, राजस्थान की पारंपरिक रोटी है जो भारत के रेगिस्तानी भोजन की सादगी और देसी आकर्षण को खूबसूरती से दर्शाती है। “खोबा” शब्द का अर्थ होता है गड्ढा या दबाव, और यही इस रोटी की खास पहचान है। आधी पकी हुई रोटी को उंगलियों से हल्के-हल्के दबाकर छोटे-छोटे समान गड्ढे बनाए जाते हैं। ये खोबे (cavities) रोटी को समान रूप से पकने में मदद करते हैं और ऊपर लगाए गए घी को थामे रखते हैं, जिससे हर निवाला मलाईदार, परतदार और स्वादिष्ट बन जाता है।

 

सिर्फ कुछ बुनियादी सामग्रियों — गेहूं का आटा (gehun ka atta), घी, नमक और पानी — से बनी खोबा रोटी सादगी का अद्भुत उदाहरण है। आटे को सख्त गूंथकर मोटा गोला बनाया जाता है और दो बार पकाया जाता है — पहले तवे पर हल्का सेकने के बाद, इसे धीमी आँच पर फिर से पकाया जाता है जब तक कि यह सुनहरी और कुरकुरी न हो जाए। दूसरी बार पकाने से रोटी में उसका खास भुना हुआ स्वाद और परतदार बनावट आती है। पारंपरिक रूप से इसे गैस या मिट्टी के तंदूर में पकाया जाता था जिससे इसमें हल्की धुएँ की खुशबू आती है, लेकिन धीमी आँच पर बनी तवे वाली रोटी भी उतनी ही स्वादिष्ट होती है।

 

खोबा रोटी की बनावट और डिजाइन ही इसे सामान्य रोटियों से अलग बनाती है। ऊपर उंगलियों से किए गए डिजाइन इसे न केवल सुंदर बनाते हैं बल्कि व्यावहारिक लाभ भी देते हैं — इससे रोटी बाहर से कुरकुरी और अंदर से हल्की नरम रहती है। पकने के बाद इसमें शुद्ध घी अच्छी तरह लगाया जाता है, जो इन गड्ढों में समा जाता है और रोटी को देता है लाजवाब खुशबू और गहराई भरा स्वाद। इसीलिए इसे राजस्थानी सब्जियों जैसे गट्टे की सब्जी, केर सांगरी या बैंगन का भरता के साथ परोसना सबसे अच्छा माना जाता है।

 

राजस्थान के शुष्क (सूखे) इलाकों में भोजन की परंपराएँ वहाँ के मौसम और संसाधनों की कमी के अनुसार विकसित हुई हैं। खोबा रोटी इसका उत्कृष्ट उदाहरण है — यह मोटी, टिकाऊ और कम पानी से बनी होती है, जिससे यह लंबे समय तक ताज़ा रहती है। यही कारण है कि यह रोटी यात्रियों और रेगिस्तान में रहने वाले लोगों के लिए आदर्श भोजन थी, जिन्हें ऐसा पौष्टिक भोजन चाहिए था जो जल्दी खराब न हो। ऊपर लगाया गया घी न केवल स्वाद बढ़ाता है बल्कि एक प्राकृतिक संरक्षक की तरह काम करता है, जो रोटी में नमी और दीर्घायु जोड़ता है।

 

मारवाड़ी खोबा रोटी केवल व्यावहारिक ही नहीं, बल्कि राजस्थानी मेहमाननवाज़ी का प्रतीक भी है। कई घरों में जब किसी अतिथि को बड़ी, सुनहरी खोबा रोटी परोसकर उस पर पिघला हुआ घी डाला जाता है, तो यह आदर, स्नेह और समृद्धि का संकेत माना जाता है। इसे अक्सर त्योहारों या पारिवारिक अवसरों पर बनाया जाता है, जब घर में गेहूं और घी की महक फैलती है और वातावरण में रेगिस्तानी परंपरा की गर्माहट महसूस होती है।

 

असल में, खोबा रोटी सिर्फ एक भारतीय रोटी नहीं है — यह राजस्थान की पाक विरासत का प्रतीक है। इसकी कलात्मक आकृति, धीमी आँच पर पकी सुगंधित परतें, और घी से भरी समृद्धि इसे एक शाही व्यंजन बनाती हैं। चाहे इसे तीखी सब्जियों के साथ खाया जाए या घी और गुड़ के साथ अकेले, यह कविटी रोटी (cavity roti) मारवाड़ी व्यंजन की आत्मा को दर्शाती है — सरल, सजीव और संतोषदायक

Soaking Time

0

Preparation Time

2 Mins

None Time

36 Mins

Baking Time

0 Mins

Baking Temperature

0

Sprouting Time

0

Total Time

38 Mins

Makes

4 रोटी। के लियेयाँ

सामग्री

खोबा रोटी के लिए

विधि

खोबा रोटी के लिए
 

  1. सभी सामग्री को एक गहरे बाउल में डालकर, पर्याप्त मात्रा में पानी का प्रयोग कर सख्त आटा गूंथ लें।
  2. आटे को 4 भाग में बाँट लें।
  3. थोड़े सूखे आटे का प्रयोग कर, आटे के प्रत्येक भाग को 150 मिमी. (6") व्यास के गोल आकार में बेल लें।
  4. एक नॉन-स्टिक तवा गरम करें और रोटी को दोनो तरफ से लगभग 2-3 मिनट तक पकाकर प्लेट में निकाल लें।
  5. रोटी को समान अंतर पर ऊँगली से चिमट लें (जैसा चित्र क्रमांक 1 से 3 में दिखाया गया है)।
  6. रोटी को सुबारा तवे पर डालकर, धिमी आँच पर 5-6 मिनट या दोनो तरफ से सुनहरे दाग पड़ने तक, सूती के कपड़े से सबाते हुए पका लें।
  7. विधी क्रमांक 3 से 6 को दोहराकर 3 और रोटी बना लें।
  8. घी और अपनी पसंद की सब्ज़ी के साथ तुरंत परोसें।

पोषक मूल्य प्रति (Abbrv) per roti
 

ऊर्जा289 कैलरी
प्रोटीन7.9 ग्राम
कार्बोहाइड्रेट47.2 ग्राम
फाइबर7.9 ग्राम
वसा8.7 ग्राम
कोलेस्ट्रॉल0 मिलीग्राम
सोडियम13 मिलीग्राम

खोबा रोटी की कैलोरी के लिए यहाँ क्लिक करें

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