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शक्कर या चीनी क्या है? ग्लॉसरी, उपयोग, व्यंजन विधि

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शक्कर या चीनी क्या है? ग्लॉसरी, उपयोग, व्यंजन विधि

🍚 सर्वव्यापी मिठास: भारतीय संदर्भ में चीनी

 

चीनी (जिसे भारत में आमतौर पर चीनी कहा जाता है, या शक्कर, जो अक्सर विशेष रूप से गुड़ या ब्राउन शुगर को संदर्भित करता है, लेकिन कभी-कभी सामान्यतः मिठास के लिए भी उपयोग होता है) निस्संदेह राष्ट्र के पाक परिदृश्य में सबसे महत्वपूर्ण और सर्वव्यापी घटक है। यह मुख्य रूप से गन्ने से प्राप्त होती है, जिसकी खेती पूरे देश में बड़े पैमाने पर की जाती है। चीनी भारतीय व्यंजनों के जटिल मसालों और खटास को संतुलित करने के लिए आवश्यक मिठास प्रदान करती है। यह केवल एक योज्य नहीं है बल्कि दैनिक चाय और कॉफी से लेकर विस्तृत उत्सव की मिठाइयों तक हर चीज़ में एक मौलिक घटक है, जो इसके गहरे सांस्कृतिक और आर्थिक महत्व को दर्शाता है।

 

भारतीय व्यंजनों में बहुमुखी उपयोग

 

चीनी का उपयोग मिठाइयों के दायरे से कहीं आगे तक फैला हुआ है। जबकि यह गुलाब जामुन, जलेबी और लड्डू जैसी अनगिनत मिठाइयों (mithai)में मुख्य है, यह स्वाद संतुलन प्राप्त करने के लिए नमकीन व्यंजनों में भी महत्वपूर्ण है। दक्षिण भारतीय पाक कला में, इमली और टमाटर की अम्लताको कम करने के लिए अक्सर सांभर या रसम में एक चुटकी चीनी मिलाई जाती है। इसी तरह, कई गुजराती और बंगाली सब्जी की तैयारियों (शाक या तोरकारी) में, एक विशिष्ट मीठा और खट्टा प्रोफ़ाइल के लिए थोड़ी मात्रा में चीनी आवश्यक है, जो साबित करता है कि इसका कार्य मिठास जितना ही स्वाद की जटिलता के बारे में भी है।

 

सामर्थ्य और सुगमता: एक आवश्यक वस्तु

 

भारत में चीनी की सबसे परिभाषित विशेषता इसकी लगभग सार्वभौमिक सामर्थ्य और आसान उपलब्धता है। भारत के बड़े घरेलू गन्ना उत्पादन के कारण, चीनी को आवश्यक वस्तु के रूप में वर्गीकृत किया गया है। यह हर छोटे शहर, गाँव और नुक्कड़ की किराना स्टोर में आसानी से मिलती है। इसकी कम लागत यह सुनिश्चित करती है कि यह सभी आर्थिक वर्गों के लिए सुलभ हो, जिससे एक साधारण, मीठी कप चाय (chai) देश का सबसे लोकतांत्रिक पेय बन जाता है। यह निरंतर, आसान आपूर्ति विलासिता की वस्तु के बजाय दैनिक घरेलू आवश्यकता के रूप में इसकी स्थिति को मजबूत करती है।

 

क्षेत्रीय विशिष्टताओं और संरक्षण में भूमिका

 

भारतीय क्षेत्रीय व्यंजनों में चीनी की भूमिका अत्यधिक विशिष्ट है। बंगाल में, यह प्रसिद्ध मिठाई उद्योग के केंद्र में है, जो दूध के ठोस पदार्थों को रसगुल्ला और संदेश जैसी स्वादिष्ट मिठाइयों में बदल देता है। गुजरात और महाराष्ट्र में, दाल व्यंजनों में अक्सर चीनी (या गुड़) का उपयोग हल्की मिठास के लिए किया जाता है जो क्षेत्रीय स्वादों को परिभाषित करता है। सीधे उपभोग के अलावा, चीनी मुरब्बा (फल संरक्षण), अचार और मीठी चटनी जैसी पारंपरिक तैयारियों में एक महत्वपूर्ण परिरक्षक (preservative) के रूप में कार्य करती है, जिससे मौसमी फलों और सब्जियों का पूरे साल आनंद लिया जा सकता है।

 

भाषाई विविधताएं और सांस्कृतिक महत्व

 

हालांकि चीनी (दानेदार सफेद चीनी) सबसे आम शब्द है, मिठास के संदर्भ को अक्सर अन्य नामों के माध्यम से पहचाना जाता है। शक्कर का उपयोग अक्सर मोटी चीनी या गुड़ पाउडर के लिए किया जाता है, जो एक अधिक अपरिष्कृत, पारंपरिक प्रकार की मिठास पर ज़ोर देता है। तमिल में, चीनी को सक्करई कहा जाता है, और बंगाली में, इसे चीनी कहा जाता है, जो शब्द की फ़ारसी उत्पत्ति से जुड़े भाषाई जड़ों को दर्शाता है। सांस्कृतिक रूप से, अच्छी खबर का जश्न मनाने के लिए कुछ मीठा खिलाना (मुंह मीठा करना) एक पारंपरिक अनुष्ठान है, जो भारतीय रीति-रिवाज और आतिथ्य के साथ चीनी के गहरे संबंधों को मजबूत करता है।

 

इसकी कार्यप्रणाली को उजागर करने वाले नुस्खा उदाहरण

 

चीनी की आवश्यक प्रकृति को प्रमुख व्यंजनों में देखा जा सकता है:

  • चाय: राष्ट्रीय पेय में एक चम्मच चीनी डिफ़ॉल्ट घटक है, जो कड़क चाय और दूध को संतुलित करती है।
  • गुलाब जामुन: चीनी आवश्यक, अत्यधिक केंद्रित चीनी सिरप (चाशनी) बनाती है जो तले हुए दूध के ठोस पदार्थों को संतृप्त करती है, बनावट और मिठास प्रदान करती है।
  • शिकंजी (भारतीय नींबू पानी): यह नींबू की खटास और मसालों के तीखेपन के लिए आवश्यक काउंटरपॉइंट प्रदान करती है।
  • टमाटर केचप या चटनी: चीनी की एक मात्रा टमाटर या इमली की अम्लता को काटती है, जिससे एक संतुलित मसाला बनता है।

इसकी सामर्थ्य, उपलब्धता और कार्यात्मक बहुमुखी प्रतिभा यह सुनिश्चित करती है कि चीनी भारतीय आहार की एक अपरिहार्य नींव बनी रहे।

 

 

शक्कर या चीनी चुनने का सुझाव (suggestions to choose sugar, chini, shakkar)

 

• शक्कर भिन्न आकार के पैकेट मे मिलता है और छोटे या बड़े कण मे भी मिलता है। अपनी ज़रुरत अनुसार चुने।

• पैक करने कि दिनाँक जाँच कर यह देख ले कि शक्कर सूखा और नमी से मुक्त है। इसका आसानी से मिलना इसकि ताज़गी का प्रतिक माना जाता है।

 

 

शक्कर या चीनी के उपयोग रसोई में (uses of sugar, chini, shakkar in cooking)

भारतीय मिठाई में इस्तेमाल होने वाली चीनी | Sugar used in Indian Mithai in Hindi |

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2. आटा का शीरा रेसिपी | आटे का हलवा | गुजराती अट्टा का शीरा| atta ka sheera recipe in hindi language | with 15 amazing images.

आटा का शीरा रेसिपी एक लोकप्रिय गुजराती मिठाई है जो सरल सामग्रियों से बनाई जाती है जो भारतीय रसोई में आसानी से उपलब्ध हैं। वास्तव में गुजराती अट्टा का शीरा बनाने के लिए आपको गेहूं के आटे, घी, चीनी, इलायची और बादाम की आवश्यकता होती है। मैं पूरी गेहूं शेरा को सबसे आसान गुजराती मिठाइयों में से एक मानता हूं।

3. अखरोट का शीरा की रेसिपी | वॉलनट हलवा | गर्भावस्था अखरोट शेरा नुस्खा | walnut (akhrot) sheera recipe in hindi language | 


आपने आज तक रवा से बना हुआ या फिर किसी और आटे बनाया हुआ शिरा चखा होगा। लेकिन यह अखरोट का शीरा , अखरोट से बनने वाला अनोखा है। 

4. केसर पेड़ा रेसिपी | झटपट केसर पेड़ा | आसान पेड़ा रेसिपी | केसर मावा पेड़ा एक समृद्ध भारतीय मिठाई है जिसका देश भर में त्योहारों पर अक्सर आनंद लिया जाता है। केसर मावा पेड़ा बनाना सीखें।

चीनी का उपयोग कर भारतीय पेय | Indian drinks using sugar in Hindi |

1. कोकम जूस सन स्ट्रोक को दूर करने का एक मनभावन पेय है। पारंपरिक कोकम ज्यूस गर्मियों की गर्मी को हराने के लिए बनाने का तरीका जानें। 

 

• शक्कर पानी मे आसानी से घुलकर चाशनी बनाती है, जिसका फल का पल्प या आर्टिफीशियल एैसेन्स बनाने मे प्रयोग किया जाता है।

• शक्कर का प्रयोग कर कैन्डी बनतायी जाती है।

• सुबह कि चाय या कॉफी शक्कर ने बीना अधुरी होती है।

• टमॅटो कैचप मे स्वाद के अलावा, शक्कर उसका रंग भी लाल रखता है।

• खाने को बेक करते समय शक्कर मिलायी जाती है, जिससे खमीर अच्छी तरह बनता है और यह क्रस्ट को सुनहरा रंग प्रदान करता है।

• सॉफ्ट ड्रिंक मे एकाग्रिता मिलाता है।

• होटल मे कच्चे आलू को तलने से पहले शक्कर वाले मे भीगोया जाता है, जिससे आलू कारारे बनते है।

• मकई, गाजर और मटर का स्वाद बढ़ाने के लिये थोड़ी मात्रा मे शक्कर मिलायें।

• टमाटर आधारीय बार्बेक्यू, स्पैघटी और चिली सॉस कि खटाई को शक्कर से कम करें।

• नमकीन सॉस, सूप और ग्रैवी मे भी थोड़ी मात्रा मे शक्कर या भूरी शक्कर मिलायी जा सकती है।

• शक्कर को बेक्ड पदर्थ मे फॅट के साथ मिलाकर यह मिश्रण मे हज़ारो छोटे-छोटे पौकेट बनाते है जिनमे हवा बंद हो जाती है और खाने कि मुलायम और एपरी परत करारी बनाती है।

• फॅट आधारित केक मे शक्कर घिल को तरल से ठोस बनने के समय कम कर तापमान नियंत्रित रखता है, जिससे बेकिंग पाउडर जैसे खमीर लाने वाले पदार्थ को ज़्यादा से ज़्यादा मात्रा मे कार्बनडाईऑक्साईड उत्तपन्न करने का समय मिलता है। यह गैस मिश्रण के हवा पौकेट मे बंद हो जाते है और समान मुलयाम केक बनाने मे मदद करते है।

• फोम वाले केक, जैसे एन्जल और स्पोन्ज केक मे, शक्कर का फेंटने के लिये प्रयोग किया जाता है, जिससे फोल मुलायम और कल्का बनता है और केक को आकार प्रदान करता है।

• शक्कर को गरम करने से कैरेमल बनता है, जिसका रंग सफेद से पीला और बाद मे भूरा बन जाता है। इसका स्वाद और इसकि खुशबु लालजवाब होती है।

• शक्कर एक प्राकृतिक संग्रहण पदार्थ है, कयोंकि यह नमी सोख कर खाने मे अनचाहे किटाणु पनपने से रोकता है। इसलिये शक्कर से बने पदार्थ जैसे केण्डी, सिरप, आईसिंग, जैली, जैम और सॉस मे फफूंद आसानी से लग जाती है।

• शक्कर गुच्छा और डल्ला बनने से रोकती है। इसलिये सूखी सामग्री जैसे मसाले, स्टार्च और बेकिंग पाउडर को घोल मे डालने से पहले, इन्हें पहले शक्कर के साथ मिलायें।

• शक्कर का प्रयोग माईक्रोवेव खाने मे भी होने लगा है। असमानता से गरमाहट को फेलने से रोकने के साथ-साथ, शक्कर कि अनोखी डाईइलेक्ट्रिक गुण खाने मे मनचाहा करारापन और परत को सुनहरा बनाने मे मदद करती है।

• शक्कर बहुत आसानी से घुल जाती हैः गरम पानी के केवल एक पाईंट में पाँच पाऊन्ड शक्कर मिलाकर संतृप्त गोल तैयार किया जा सकता है। यह अनोखा गुण खाना बनाने वाले को शक्कर का प्रयोग कर विभिन्न प्रकार के पेय पदार्थ, बेहतरीन सिरप, क्रीमी फोन्डेन्ट और फज बनाने मे काम आता है।

 

 

शक्कर या चीनी संग्रह करने के तरीके 

 

• हवा बंद डब्बे मे रखकर और ठंडी सूखी जगह पर सूर्य कि किरणो से दुर रखकर, शक्कर को लंबे सकय तक रखा जा सकता है।

• देखा गया तो शक्कर कभी खराब नही होती, लेकिन साल भर के अंदर शक्कर का प्रयोग कर लेना चाहिए क्योंकि लंबे समय तक उमस और नमी कि वजह से यह जम सकती है।

 

 

शक्कर या चीनी के फायदे, स्वास्थ्य विषयक (benefits of sugar, chini, shakkar in hindi)

 

 

• शक्कर से हुई हानी बहुत ही धिमी और घातक होती है। आपके पाचक ग्रंधी, अधिवृक्क ग्रंधी और होरमोन प्रणाली को पुरी तरह खराब करने मे सालों लग जाते है।

• दाँतो कि सरण का मुख्य कारण शक्कर होता है, जैसे दाँतो मे गड्ढ़े होना, मसूड़े से खून निकलना, तेड़े मेड़े दाँत आना और दाँत गिरना।

• यह मधुमेह, हाईपरग्लाईसिमीया और सायपोग्लाईसिमीया होने का कारण है।

• यह हृदय रोग, आर्टीरियोस्क्लेरोसिस, दिमाँगी रोग, डिप्रैशन, वृद्धवास्था, उच्च रक्तचाप और कैंसर होने का दोनो महत्वपूर्ण और सहायक कारण है।

• इसका बहुत ही हानीकारक प्रभाव होरमोन प्रणाली पर पड़ता है, जहाँ इस प्रणाली को असंतुलित करता है साथ ही हुए ग्रंथि को भी हानी पहुँचाता है, जैसे अधिविकृक ग्रंथि, पाचक ग्रंथि और लीवर, जिसके कारण रक्त मे शक्करा कि मात्रा तेज़ी से बढ़ने लगती है। शरीर मे इसका और भी हानीकारक प्रभाव होते है, जैसे अत्यधिक थकान, बुलिमिनया से पिड़ित मे मीठे खाने कि अत्यधिक लालसा, पी.एम.एस का बढ़ना, लगभग 50% बच्चों मे अतिक्रियाशीलता, गबराहट और चीड़चीड़ापन, वजन कम करने मे तकलीफ होना, आदि।

• इस बात का हमेशा ध्यान रखें कि शक्कर काफी खास्य पदार्थ मे पाया जाता है, अनस से लेकर कैचप और सूप में और हॉट-डॉग मे भी। इसलिये, शक्कर कि मात्रा संतुलित रखने का मतलब है, एैसे खाद्य पदार्थ भी संतुलिता मात्रा मे खाना।

 

 


 

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